Shani Ketu Shrapit Dosh Nivaran Puja
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इस पूजा के महत्व
ज्योतिष शास्त्र में शनि और केतु को विशेष ग्रह माना गया है. किसी व्यक्ति की कुंडली के एक ही घर में शनि और केतु की मौजूदगी को वैदिक ज्योतिष में श्रापित दोष के रूप में जाना जाता है। श्रापित शब्द किसी ऐसे व्यक्ति को संदर्भित करता है जिसे पिछले जन्म में बुरे कर्म के कारण शाप दिया गया हो।
कुंडली में इस दोष के होने पर व्यक्ति जीवन की विलासिता और सुख-सुविधाएं होने के बावजूद भी उनका आनंद नहीं ले सकता है। जातकों को करियर में बार-बार बदलाव, प्रियजनों से अलगाव, विवाह में कठिनाई और बच्चे के जन्म में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
जिन लोगों की कुंडली में श्रापित योग है उन्हें शनि देव की पूजा करनी चाहिए और प्रत्येक शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे नारियल फोडें. ज्येष्ठ मास में पानी से भरा घड़ा शनि या हनुमान मंदिर में दान करने से लाभ मिलता है. हनुमान जी की पूजा करने से भी विष योग दूर होता है. शनिवार को कुएं में कच्चा दूध डालने से भी इस योग का प्रभाव दूर होता है.
श्रापित दोष के प्रतिकूल प्रभावों का प्रतिकार करने के लिए शनि केतु श्रापित दोष निवारण पूजा सबसे शक्तिशाली वैदिक पद्धति है।
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